■ बदनाम किए जा रहे हो ■
(हिंदी गजल)
आप जो हमें बदनाम किए जा रहे हो
बिना इश्तहार मशहूर किए जा रहे हो।
खुश हैं हम आपकी इस जिंदादिली पर
अपना प्यार सरे-आम किए जा रहे हो।
आपकी इस अदा के कायल थे औ' हैं
नज़्र से हमपर अहसान किए जा रहे हो।
इस बदनामी का हमें ज़रा भी रंज नहीं
भूली दास्ताँ पर दस्तक किए जा रहे हो।
बेवफ़ाई में वफ़ादारी की हद हो गई
'मंजीते' दिल बाग-बाग किए जा रहे हो।
-०-
28 नवंबर 2021
रचनाकार: मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©®
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका, सातारा (महाराष्ट्र)
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