मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

पत्र: राजकुमार जैन 'राजन' - बधाई पत्र

दिनांक : १४ फरवरी २०१८ 
आदरणीय राजकुमार जैन 'राजन' बंधुवर,
सादर नमन।
               'उदय सर्वोदय' के फरवरी २०१८ के अंक में प्रकाशित रचनओं हेतु आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ। 
आपका साहित्य पाठकों के प्रेरणादायी होता हैं। आप बालसाहित्य में सिद्धहस्त तो है ही और प्रौढ़ साहित्य में भी आपकी कलम जीवन अभिव्यक्ति को साकार कर देती हैं।  हाल ही में 'उदय सर्वोदय' के फरवरी २०१८ अंक में  प्रकाशित आपकी 'प्रतीक्षा सूर्योदय की', 'मन के कैनवास' और 'जिजीविषा' शीर्षक में प्रकाशित कविताएँ पढ़ने को मिली। तीनों भी कविताएँ अंतर्मन की कश्मकश और वेदना को व्यक्त करती हैं, जो किसी न किसी प्रकार से हर एक मन से जुडी हैं।
              'प्रतीक्षा सूर्योदय की' नामक काव्यकृति द्वारा टूटे हुए मन की दुविधा, पूर्व मधुर पलों का एहसास तथा अपने मन के अंतर्द्वंद्व अपने प्रियतम / प्रियतमा के सम्मुख रखते हुए, हारे मन में फिर नई उम्मीद के साथ नए विहान के लिए नए सूर्योदय की प्रतीक्षा में वह आत्मा आज भी है। वह सूर्योदय अनहोनी लेकर आएगा ऐसी आशाओं की किरण देनेवाली सृजनीय काव्यकृति  हैं। आपकी दूसरी रचना 'मन के कैनवास' ऐसी कविता है जो आशावादी सपने तो बुनने की चाह रखती है, परंतु बढ़ते उपभोक्तावाद की संस्कृति में निष्ठुर कर से कैसे सपनों को कुचला जाता है और वे सपने कल्पना में भी न उभरे ऐसी व्यवस्था को दर्शाने वाली और पाठक को अंतर्मुख सोचने  के लिए मजबूर करनेवाली रचना बहुत कुछ कह जाती हैं। 'जिजीविषा' काव्य हर व्यक्ति के जीवन के निकट है। हर मनुष्य अपना जीवन खुशहाल बीत जाए इसके लिए निरंतर कोशिश में रहता हैं, बहुत-सी आपत्तियाँ आती रहती हैं उन्हें पार करने के बाद आगे बढ़ता है तो पता चलता है जीवन में कसौटी का महत्त्व क्या हैं। फिर भी जीने की चाह कभी पराजित नहीं होनी चाहिए, ऐसी सिखावन दे जाती है। आपकी 'जिजीविषा' काव्यकृति पढ़ते वक्त कविवर्य रविंद्रनाथ ठाकुर जी की 'विपत्तियों से रक्षा कर' काव्यकृति  की स्मृतियाँ उभर गई।
             समग्र इतना ही कहना चाहूंगा कि आपकी समुचित रचनाएँ जीवन को अभिव्यक्ति देती हैं। आपकी इन प्रकाशित रचनाओं हेतु आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं आपके द्वारा साहित्य की सेवा बरक़रार रहे यहीं ईश्वर से और आपसे अनुनय।
           'उदय सर्वोदय' की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं मंगल कामनाएँ । पत्रिका के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्य पाठकों तक पहुँचाने के लिए सहृदय आभार।
भवदीय,
मच्छिंद्र बापू भिसे
उप अध्यापक
ग्राम भिरडाचीवाडी पोस्ट भुईंज,
तहसील वाई, जिला सतारा
महाराष्ट्र  - ४१५ ५१५
9730491952/9545840063

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