मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

बाल ग़ज़ल ●सम्मान●

बाल ग़ज़ल
सम्मान
जीवन अपना सरल हो बच्चों, देते रहना सभी को सम्मान,
मान रखिए छोटे–बड़ों का, इसमें आप का भी हो सम्मान

माता-पिता ने जनम दिया हमें, करना न कभी व्यर्थ अभिमान,
अच्छे कर्म करते रहना, नित जन्मदाता का भी हो सम्मान

पसीना बहा अनाज उगाते, व्यर्थ गँवा बनो न नादान,
हर निवाला करना स्वीकार, अन्नदाता का भी हो सम्मान

दिन-रात का हिसाब न रखें, हथेली पर रखते देते जान,
वतन ही जिन्हें जान से प्यारा, उन वीरों का भी हो सम्मान

प्यारी अपनी भारत माता, जिसकी गोद में देखा जहान,
हम भारतीय धर्म हो अपना, संविधान का भी हो सम्मान

निज जीवन हौसला भरें, चाहे कितने भी आए तूफान,
कर्म राह पर आगे बढ़ना, सबके कर्मों का भी हो सम्मान

प्यारे बच्चों इन्सान हैं हम, जोड़ते रहे इन्सान से इन्सान,
सोच हमेशा साफ़ रखना, दिल से एकता का भी हो सम्मान
-०-
* इस ग़ज़ल के हर मिस्रा (पंक्ति) में 33 मात्राएँ हैं.
  27 नवंबर  2019
ग़ज़ल रचनाकार
मच्छिंद्र भिसे ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
-------////// --------
भिराडाचीवाडी, तहसील वाई, 
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415515
मोबाइल: 9730491952

मौलिकता की घोषणा

प्रस्तुत ग़ज़ल रचना स्वरचित एवं मौलिक है.

● दुआओं में सिर्फ● (विधा: कविता)

● दुआओं में सिर्फ●
(विधा: कविता)
चाहत इतनी रखता हूँ
कि सारी उम्र तुझे पूजता रहूँ
आँखों से कभी ओझल न होना
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.

पहली बार जब देखा तुझे
मन आशक्त हो गया
उठाना चाहा गोद में
मन उलाहना सह गया
तेरी मुस्कान आबाद रहे सदा
इबादत तुम्हारी करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.

जब देखें मैंने गोलमटोल गाल
अपलक जब भी छूआ
हो गए थे लाल
अरूण अधरों का तो क्या कहना
जैसे सुशोभित हो गेरूआ गहना
जब-जब देखता हूँ तुझे
मेरे मन को बहलाता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.

जब भी तू चलती घर-द्वार-आँगन
हरेक की नजरें हो जाती मगन
किसी दिन हो जाती
मेरी निगाहों से दूर
सीने में उठती तड़फ और अगन
जिस दिन हाथ फैलाए बाहों में आई
वह पल मैं पल-पल याद करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.

पहली बार तुमने प्यार से मुझे चूमा
नजारा देख हर कोई था झूमा
हर एक ईर्ष्या से भी जला था
मगर मैं प्यार के अहसास में था खिला
उस पल को सूरज की चमक की तरह,
अपनी हर मुस्कान में लाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.

'दादा' कह पुकारा जिस दिन तूने
तेरी माँ भी जली थी जैसे भूने दाने
पिता हूँ बिटिया तेरा
जीवन तुझपर वार दूँ
जीवन न्यौछावर रहे तुझ पर मेरा
उतना तुझे प्यार दूँ
विदाई होगी ससूराल को जब तेरी
इस सोच से घबरा जाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.
-०-
मच्छिंद्र भिसे ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
-------////// --------
भिराडाचीवाडी, तहसील वाई,  
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415515
मोबाइल: 9730491952

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  ■ देशवासियों के नाम हिंदी की पाती  ■ (पत्रलेखन) मेरे देशवासियों, सभी का अभिनंदन! सभी को अभिवादन!       आप सभी को मैं-  तू, तुम या आप कहूँ?...

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