मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

सोलह आना (हाइकु) - मच्छिंद्र भिसे

*सोलह आना*
(विधा: हाइकु)
***
सच था झूठा
दिखता कुछ और
मिली न ठौर।
***
कौन किसका
वक्त ही बता देता
आपसी रिश्ता।
***
कभी किसी का
बना था मैं भी कभी
भूलें है सभी।
***
इंची मुस्कान
फरेब न जाने तो
लेती है जान।
***
आप-हमारे
काम निकलें जब
न ही विचारे।
***
जब हैं देते
निचोड़ लेते सभी
भूलेंगे सभी।
***
अपने हाथ
जीवनभर चलें
अपने साथ।
***
रिश्ते हैं खाली
दूजे घर दिवाली
अपनी होली।
***
देते रहेंगे
जब तक औरों को
मित कहेंगे।
***
खाली हो मुट्ठी
कोई पास न आए
न मित्र कहे।
***
खाली की जेब
जिनके वास्ते कभी
स्वार्थी थे सभी।
***
जीवन सूना
लगेगा हर पल
कर्म के बिना।
***
देर से सही
सही राह पकड़ो
मन ने कही।
***
भूल हो गई
क्यों अच्छा बना मैं जो
तौहीन हुई।
***
खाए हैं धोखे
प्यार में नहीं साब
रिश्तों के लिखें।
***
दहला मन
पीड़ा से एक दिन
होगा पावन।
***
मीठी वाणी ने
तीखा जहर दिया
हमने खाया।
***
अब जहर
फैल गया तन में
और मन में।
***
वक्त बेवक्त
हिसाब लेगा सबका
न बनो सख्त।
***
प्रश्न है यही
कौन किसको थामें
टूटे हिया में।
***
की मेहनत
रंग दिखेंगे कभी
सोच लो अभी।
***
नेकी की सोच
अंतर्मन हो साफ
पूजेंगे आप।
***
घट के वासी
खुद को पहचानो
सीना न तानो।
***
भुजा में शक्ति
भर लो हरदम
ना मिलें गम।
***
अपने आप
कभी गर्व ना करें
जिए या मरें।
***
मिट्टी का तन
मिट्टी में ही मिलेगा
किसी भी क्षण ।
***
कर्म करेंगे
कर्मरत रहेंगे
नहीं रुकेंगे।
***
सोलह आना
बात कहूँ मैं सच
झूठों से बच।
-0-
10 मई 2020
● मच्छिंद्र भिसे ● ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952 / 9545840063
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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