मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

गुरुजन माझे दैवत जगती (प्रार्थना) - मच्छिंद्र भिसे

'गुरुजन माझे दैवत जगती'
(प्रार्थना)
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गुरुजन माझे दैवत जगती
ज्ञान गंगेचे दीप लावती.

हात हाती घेऊन आपुला
स्वच्छंद अक्षर मोती सजवती,
रंगभरण करण्या नव्या युगाचे
संस्कार कुंचले रंग भरती,
बेरंग पटावर जगात आपल्या
सुख दुःखाचा मेळ घालती.

मुला फुलांचा बाग बगीचा
माळी होऊन राखण करती,
द्वेष मत्सर गवत वाढले
मृदू वाणीने साफ करती,
सच्चरित्र उमलण्या कळी फुलांची
आदर शिस्तीचे कुंपन घालती.

ज्ञान मंदिर शाळा घडावी
तना-मनाने जीव ओतती,
निस्वार्थ भावना उजळ माथा
जगात बालके मुक्त हासती,
ऋण उतराई कधी नसावी
बिकट अंधारी साद घालती.

पदोपदी असावे गुरुचे स्मरण
ईश्वरा आधी वंदावे चरण,
आई विना जग भिकारी
गुरु विना मन विकारी,
गुरु आपली आई होऊनी
ज्ञान पान्हा मज पाजती.
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05 सितंबर 2020
मच्छिंद्र भिसे ©®
सातारा (महाराष्ट्र)
9730491952
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गुरुजन मेरे ईश जगत में (प्रार्थना गीत) - मच्छिंद्र भिसे


'गुरुजन मेरे ईश जगत में'
विधा: प्रार्थना गीत
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गुरुजन मेरे ईश जगत में
ज्ञान गंगा के दीप जलाते।

हाथ हमारे हाथों में लेकर
स्वच्छंद अक्षरों के मोती सजाते
रंग भरने स्वर्णिम युग में
संस्कार तूलिका से रंग भरते
बेरंग पटल यह जगत अपना
सुख-दुख का मेल कराते।

बाल बच्चों का बाग बगीचा
माली बन राखण है करते
द्वेष-मत्सर जब घास बड़े
मृदु बानी से साफ करते
सच्चरित्र के कली-फूल खिलाने
आदर-अनुशासन बाड़ा है रचते।

पाठशाला बने ज्ञान के मंदिर
तन-मन अपनई जान डालते
निस्वार्थ भाव साफ चरित्र ले
बालक जगत में गीत गाते
ऋण कभी उतरे ना उनका
घने अंधियारे में साथ निभाते।

पग-पग करें गुरु स्मरण
ईश पहले धरे गुरु चरण
माँ के बिन जगत भिकारी
गुरु के बिन मन विकारी
माता बन सब गुरुजन प्यारे
ज्ञान अमृत की धार पिलाते।
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05 सितंबर 2020
मच्छिंद्र भिसे ©®
सातारा (महाराष्ट्र)
9730491952
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■ देशवासियों के नाम हिंदी की पाती ■

  ■ देशवासियों के नाम हिंदी की पाती  ■ (पत्रलेखन) मेरे देशवासियों, सभी का अभिनंदन! सभी को अभिवादन!       आप सभी को मैं-  तू, तुम या आप कहूँ?...

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