मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

■ आओ दिवाली मनाए ■ (कविता)

■ आओ दिवाली मनाए 

(कविता)

एक ज्योति आप जलाए
बातियाँ लौ हम भी जलाए,
आओ रोशन कर दे जहाँ
आओ दिल के दीप जलाए।

खुशियों का त्योहार पावन
लगता है सबको मनभावन,
आओ मिलकर रंग भरे
दुख-मोह के सब पाश हरे,
आओ स्नेहबंध में बंध जाए
आओ प्यार से हाथ बढ़ाए।

मिठास जो ले आए दिवाली
मन में सदा खिलें खुशहाली,
आज की न, न पल की हो
अपनी दिवाली हर पल की हो,
मिठास कभी न कम हो जाए
आओ प्यार की मिश्री घुलाए।

रोशनी-सा चमके जीवन
पक्वानों-सा महके आँगन,
रंगोली-से रंग भर जाए
अबर-भुवन प्यार बरसाए,
आस्था विश्वास के दीप जलाए
आओ मिलकर दिवाली मनाएँ।
-०-©®
24 अक्बतूर 2022
रचनाकार:  मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©® 
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका,  सातारा (महाराष्ट्र)


संपर्क पता
● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'  
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका
भिरडाचीवाडी, डाक- भुईंज,  
तहसील- वाई, जिला- सातारा महाराष्ट्र
पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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■ हौसले फौलादी ■ (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

 

■ हौसले फौलादी 

(कविता)

जीत जाए तन के विकार
हर जाए मन संकोच विचार,
हो हर पथ‌ हौसले फौलादी
रिपु जो करे सौ-सौ प्रहार!

अनंत अभिलाषाएँ लेकर चलें
तूफानी धूल चाहे दो हाथ मिलें
चाहे राह पर हार-पुष्प खिलें,
करते रहे नेक शर बौछार!

अनंत भुवन तुम्हारा होगा
जब जितने का जज्बा होगा
तू और तू ही को चलना होगा,
न लगा किसी से आस-गुहार!

चाहे पद डग मग हो जाए
चाहे हाथ अनंग हो जाए
चाहे आँख दीपदान हो जाए,
अस्ति साँसें भी लाए लौ बहार!

तम के बिन क्या उजियाला 
गम के बिन सुख भी अकेला
लगेगा तुम बिन संसार का मेला,
बस तू जी ले चैन के दिन चहार!
-०-
07 अक्बतूर 2022
रचनाकार:  मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©® 
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका,  सातारा (महाराष्ट्र)


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● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'  
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका
भिरडाचीवाडी, डाक- भुईंज,  
तहसील- वाई, जिला- सातारा महाराष्ट्र
पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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■ देशवासियों के नाम हिंदी की पाती ■

  ■ देशवासियों के नाम हिंदी की पाती  ■ (पत्रलेखन) मेरे देशवासियों, सभी का अभिनंदन! सभी को अभिवादन!       आप सभी को मैं-  तू, तुम या आप कहूँ?...

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