मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

चल अकेला (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

 

चल अकेला
(कविता)
हमराही हो न हो
चलता चल अकेला
दुनिया की क्या सोच रखें तू
आया अकेला इस दुनिया में
चला भी जाएगा अकेला।

साथी मिलेंगे, दिल भी खिलेंगे
दो बातें प्यारी करेंगे
पल दो पल नव उत्सव होगा
मर-मिटने का वादा होगा
जब तक भरोसा आपसी होगा
तब तक न कानाफूसी
न तू-तू मैं-मैं कभी होगा
कभी न कभी काल प्रलय
इम्तिहान लेगा रिश्तों का
सच्चे रिश्तों को भय कहाँ
बेबुनियादी बोलो छिपेंगे कहाँ
धन दौलत के प्यासे यहाँ
चुपके से राह काट वहाँ
लालच देंगे, देंगे भरोसा
छाछ भी पी ले फूँक जरा-सा
कुछ तेरे जैसे 'नेक' यहाँ
पर मिलेंगे 'अनेक' यहाँ
चाहे पग डगमग हो जाए
चाहे पथ पर तूफान भी छाए
यह पथ इतना सरल कहाँ
जो सहज ही मंझील को पाए
शस्त्र से न कभी जीत मिलेगी
शास्त्र से न कभी हार मिलेगी
मिटना पर राहें वफ़ा
तू अपनी सच्ची राह न छोड़ना
चाहे चलना पड़ेगा अकेला
आया था अकेला इस दुनिया में
चला भी जाएगा अकेला।
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● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'●
सातारा (महाराष्ट्र)
संपादक
सृजन महोत्सव पत्रिका
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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