बाल ग़ज़ल
●सम्मान●
जीवन अपना सरल हो बच्चों, देते
रहना सभी को सम्मान,
मान रखिए छोटे–बड़ों का, इसमें
आप का भी हो सम्मान।
माता-पिता ने जनम दिया हमें, करना
न कभी व्यर्थ अभिमान,
अच्छे कर्म करते रहना, नित
जन्मदाता का भी हो सम्मान।
पसीना बहा अनाज उगाते, व्यर्थ गँवा
बनो न नादान,
हर निवाला करना स्वीकार,
अन्नदाता का भी हो सम्मान।
दिन-रात का हिसाब न रखें,
हथेली पर रखते देते जान,
वतन ही जिन्हें जान से
प्यारा, उन वीरों का भी हो सम्मान।
प्यारी अपनी भारत माता, जिसकी
गोद में देखा जहान,
हम भारतीय धर्म हो अपना,
संविधान का भी हो सम्मान।
निज जीवन हौसला भरें, चाहे
कितने भी आए तूफान,
कर्म राह पर आगे बढ़ना, सबके
कर्मों का भी हो सम्मान।
प्यारे बच्चों इन्सान हैं हम,
जोड़ते रहे इन्सान से इन्सान,
सोच हमेशा साफ़ रखना, दिल से
एकता का भी हो सम्मान।
-०-
* इस ग़ज़ल के हर मिस्रा (पंक्ति) में 33 मात्राएँ हैं.
27 नवंबर 2019
ग़ज़ल रचनाकार
● मच्छिंद्र भिसे● ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
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भिराडाचीवाडी, तहसील वाई,
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415515
मोबाइल: 9730491952
मौलिकता की घोषणा
प्रस्तुत ग़ज़ल रचना स्वरचित एवं मौलिक है.
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