● दुआओं में सिर्फ●
(विधा: कविता)
चाहत इतनी रखता हूँ
कि सारी उम्र तुझे पूजता रहूँ
आँखों से कभी ओझल न होना
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
पहली बार जब देखा तुझे
मन आशक्त हो गया
उठाना चाहा गोद में
मन उलाहना सह गया
तेरी मुस्कान आबाद रहे सदा
इबादत तुम्हारी करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
जब देखें मैंने गोलमटोल गाल
अपलक जब भी छूआ
हो गए थे लाल
अरूण अधरों का तो क्या कहना
जैसे सुशोभित हो गेरूआ गहना
जब-जब देखता हूँ तुझे
मेरे मन को बहलाता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
जब भी तू चलती घर-द्वार-आँगन
हरेक की नजरें हो जाती मगन
किसी दिन हो जाती
मेरी निगाहों से दूर
सीने में उठती तड़फ और अगन
जिस दिन हाथ फैलाए बाहों में आई
वह पल मैं पल-पल याद करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
पहली बार तुमने प्यार से मुझे चूमा
नजारा देख हर कोई था झूमा
हर एक ईर्ष्या से भी जला था
मगर मैं प्यार के अहसास में था खिला
उस पल को सूरज की चमक की तरह,
अपनी हर मुस्कान में लाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.
'दादा' कह पुकारा जिस दिन तूने
तेरी माँ भी जली थी जैसे भूने दाने
पिता हूँ बिटिया तेरा
जीवन तुझपर वार दूँ
जीवन न्यौछावर रहे तुझ पर मेरा
उतना तुझे प्यार दूँ
विदाई होगी ससूराल को जब तेरी
इस सोच से घबरा जाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.
-०-
(विधा: कविता)
चाहत इतनी रखता हूँ
कि सारी उम्र तुझे पूजता रहूँ
आँखों से कभी ओझल न होना
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
पहली बार जब देखा तुझे
मन आशक्त हो गया
उठाना चाहा गोद में
मन उलाहना सह गया
तेरी मुस्कान आबाद रहे सदा
इबादत तुम्हारी करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
जब देखें मैंने गोलमटोल गाल
अपलक जब भी छूआ
हो गए थे लाल
अरूण अधरों का तो क्या कहना
जैसे सुशोभित हो गेरूआ गहना
जब-जब देखता हूँ तुझे
मेरे मन को बहलाता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
जब भी तू चलती घर-द्वार-आँगन
हरेक की नजरें हो जाती मगन
किसी दिन हो जाती
मेरी निगाहों से दूर
सीने में उठती तड़फ और अगन
जिस दिन हाथ फैलाए बाहों में आई
वह पल मैं पल-पल याद करता हूँ
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगा करता हूँ.
पहली बार तुमने प्यार से मुझे चूमा
नजारा देख हर कोई था झूमा
हर एक ईर्ष्या से भी जला था
मगर मैं प्यार के अहसास में था खिला
उस पल को सूरज की चमक की तरह,
अपनी हर मुस्कान में लाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.
'दादा' कह पुकारा जिस दिन तूने
तेरी माँ भी जली थी जैसे भूने दाने
पिता हूँ बिटिया तेरा
जीवन तुझपर वार दूँ
जीवन न्यौछावर रहे तुझ पर मेरा
उतना तुझे प्यार दूँ
विदाई होगी ससूराल को जब तेरी
इस सोच से घबरा जाता हूँ,
दुआओं में सिर्फ तुझे ही माँगता हूँ.
-०-
● मच्छिंद्र भिसे● ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
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भिराडाचीवाडी, तहसील वाई,
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415515
मोबाइल: 9730491952
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