आभिभावकों से मनुहार
●कविता ●
●कविता ●
बच्चे हमारे जान से प्यारे
बन जाए वे आँखों के तारे
नाम करें न रोशन अपना
बस! न उजाड़े घरौंदा सपना
इतने तो उसमें संस्कार भरे।
बदल रही है दुनिया
बदल रहा है परिवेश,
चकाचौंध रंग देख बच्चे
खो रहे सभ्यता के वेश
उनमें उद्वेग नहीं स्नेह संवेग भरे
आत्मियता की उनसे चार बातें करें।
कटुता आए वाणी में उसके
वाणी के व्यापार के बाण चलाए
बदलाव देखें चाल-चलन में
सत्य-असत्य का भेद बताए
नासमझी की जब वे बात करें
समझदारी की उनसे चार बातें करें।
जिनके लिए जी लेते हो
बहाते हो दिन-रात पसीना
कहे गर वह कौन हो तुम?
छलनी-छलनी हो जाएगा सीना
कान ऐंठे समय पर उसके
आप एहसास की उनसे चार बाते करें।
नाम करें न रोशन अपना
बस! न उजाड़े घरौंदा सपना
इतने तो उसमें संस्कार भरे।
बदल रही है दुनिया
बदल रहा है परिवेश,
चकाचौंध रंग देख बच्चे
खो रहे सभ्यता के वेश
उनमें उद्वेग नहीं स्नेह संवेग भरे
आत्मियता की उनसे चार बातें करें।
कटुता आए वाणी में उसके
वाणी के व्यापार के बाण चलाए
बदलाव देखें चाल-चलन में
सत्य-असत्य का भेद बताए
नासमझी की जब वे बात करें
समझदारी की उनसे चार बातें करें।
जिनके लिए जी लेते हो
बहाते हो दिन-रात पसीना
कहे गर वह कौन हो तुम?
छलनी-छलनी हो जाएगा सीना
कान ऐंठे समय पर उसके
आप एहसास की उनसे चार बाते करें।
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10 दिसंबर 2019
● मच्छिंद्र भिसे● ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
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भिराडाचीवाडी, तहसील वाई,
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415515
मोबाइल: 9730491952
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