२६/११ की अनहोनी
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आज से १० वर्ष पूर्व मुंबई में हुए हमले की याद आते ही मन दहल जाता है। मैं सायन के एक ऑफिस में काम पर था। यकायक शाम ४ बजे के आस-पास खबरें आने लगी कि सीएसटी पर हमला हुआ है। ट्रैन, बस सेवा बंद हो गई। तीन दिन मुंबई सहीत पूरा देश भयाक्रांत था परंतु महाराष्ट्र पुलिस और कमांडो फोर्स ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए कड़ा मुकाबला किया। परंतु दुर्भाग्य से मातृभूमि के लिए पुलिस अधिकारियों सहीत १८ सूरमा शहीद हुए, जिसमें मेरे गाँव के शहीद बापूराव साहेबराव धुरगुडे (पीएसआय) भी शहीद हुए।
सभी ने अपने देश के लिए शहीदी दी। सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजली।
इस घटना के शहीद वीरों को शब्दांजली...
🌹😔🌹😔🌹😔
२६/११ पल दो पल में......
😔😔😔😔😔😔😔
आते देख आज की तारीख ताज भी सहम गया,
याद कर उस शहीदी को फूट-फूटकर वह रोया,
लहूलुहान थी धरा वक्त भी संभल नहीं पाया,
यमालय से भयभीत यम भी डरते-डरते आया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
२६/११ की खुशहाल शाम दहलने लगी,
छत्रपती टर्मिनल पर गोलियाँ सूँ-सूँ चलने लगी,
मुंम्बापुरी आंतकी भय से अंतस्थ धधकने लगी,
यकायक शहर पर डर का बिछ गया था साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
वीरों को भनक लगी, निकले लेकर जान हथेली,
बाँध कफन सिर पर, न ले सके अपनों की बिदाई,
बस एक ही अरमान था, हो देश की रखवाली,
सामने बस थी मातम और आतंक की छाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
गोलियाँ चली घनेरी दोनों ओर से बारी-बारी,
आतंकी असुरों के मौत की हो गई तैयारी,
बढ़ गए देश के सूरमा आगेे, लेकर एक चिंगारी,
पता नहीं था उन्हें मिलेगा, देखने शांति का साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
घमासान हुँकार साँस रूकाए देख रही थी धरा,
आतंक मिटाते-मिटाते एक-एक सूरमा जब गिरा,
धरा-अंबर की थर्राई रूह, लगा मिटेगा जग सारा,
खत्म हुआ अातंक, आतंकी जो जाल बुनाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
हे मातृभूमि, तेरे लिए सौ-सौ बार जनम हम लेंगे,
फिर सपूत बनकर तुझपर बलि-बलि जाएँगे,
कहते है शहीद आज, मत रो मेरे प्यारे ताज,
तेरे कारण ही तो दुनिया का प्यार है हमने पाया,
मत रो भारतमाता प्यारे शहीदों ने समझाया।
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
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शब्दांकन-रचना
श्री. मच्छिंद्र भिसे,
अध्यापक
ग्राम भिरडाचीवाडी,
पोस्ट भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
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आज से १० वर्ष पूर्व मुंबई में हुए हमले की याद आते ही मन दहल जाता है। मैं सायन के एक ऑफिस में काम पर था। यकायक शाम ४ बजे के आस-पास खबरें आने लगी कि सीएसटी पर हमला हुआ है। ट्रैन, बस सेवा बंद हो गई। तीन दिन मुंबई सहीत पूरा देश भयाक्रांत था परंतु महाराष्ट्र पुलिस और कमांडो फोर्स ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए कड़ा मुकाबला किया। परंतु दुर्भाग्य से मातृभूमि के लिए पुलिस अधिकारियों सहीत १८ सूरमा शहीद हुए, जिसमें मेरे गाँव के शहीद बापूराव साहेबराव धुरगुडे (पीएसआय) भी शहीद हुए।
सभी ने अपने देश के लिए शहीदी दी। सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजली।
इस घटना के शहीद वीरों को शब्दांजली...
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२६/११ पल दो पल में......
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आते देख आज की तारीख ताज भी सहम गया,
याद कर उस शहीदी को फूट-फूटकर वह रोया,
लहूलुहान थी धरा वक्त भी संभल नहीं पाया,
यमालय से भयभीत यम भी डरते-डरते आया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
२६/११ की खुशहाल शाम दहलने लगी,
छत्रपती टर्मिनल पर गोलियाँ सूँ-सूँ चलने लगी,
मुंम्बापुरी आंतकी भय से अंतस्थ धधकने लगी,
यकायक शहर पर डर का बिछ गया था साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
वीरों को भनक लगी, निकले लेकर जान हथेली,
बाँध कफन सिर पर, न ले सके अपनों की बिदाई,
बस एक ही अरमान था, हो देश की रखवाली,
सामने बस थी मातम और आतंक की छाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
गोलियाँ चली घनेरी दोनों ओर से बारी-बारी,
आतंकी असुरों के मौत की हो गई तैयारी,
बढ़ गए देश के सूरमा आगेे, लेकर एक चिंगारी,
पता नहीं था उन्हें मिलेगा, देखने शांति का साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
घमासान हुँकार साँस रूकाए देख रही थी धरा,
आतंक मिटाते-मिटाते एक-एक सूरमा जब गिरा,
धरा-अंबर की थर्राई रूह, लगा मिटेगा जग सारा,
खत्म हुआ अातंक, आतंकी जो जाल बुनाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
हे मातृभूमि, तेरे लिए सौ-सौ बार जनम हम लेंगे,
फिर सपूत बनकर तुझपर बलि-बलि जाएँगे,
कहते है शहीद आज, मत रो मेरे प्यारे ताज,
तेरे कारण ही तो दुनिया का प्यार है हमने पाया,
मत रो भारतमाता प्यारे शहीदों ने समझाया।
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
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शब्दांकन-रचना
श्री. मच्छिंद्र भिसे,
अध्यापक
ग्राम भिरडाचीवाडी,
पोस्ट भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
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