मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

■ कौन है वह? ■ (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे


■ कौन है वह? 

(कविता)

अपनी राहें चल रे बंदे,
कौन तूझे है रोक पाएगा,
मीटने की ही ठानी तूने,
कौन तूझे है मिटाएगा।

न अपने पग को विराम हो,
बस चलने का पैगाम हो,
चूभें काँटे वे फूल भी होंगे,
कौन पथ तेरा रोक पाएगा।

अपनी मंजील नेकी हो
चाहे जहान विरोधी हो
था जो अँधेरा होगा उजाला
कौन रवी को रोक पाएगा।

आसमान पर परवान हो
आपनी नजरें जमीं में हो
निस्वार्थ से जो कर्म करोगे
कौन स्वार्थ तुझे हरा पाएगा।

जिंदगी कर-गुजरने का नाम हो
जीते जी कभी बदनाम न हो
नाम लिखना आसमानों पर
कौन तेरी हस्ती मिटाएगा।
-०-
25 नवंबर 2021
रचनाकार:  मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©® 
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका,  सातारा (महाराष्ट्र)

संपर्क पता
● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'  
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका
भिरडाचीवाडी, डाक- भुईंज,  
तहसील- वाई, जिला- सातारा महाराष्ट्र
पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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3 comments:

  1. बहुत बढ़िया कविता। आपकी कविता का जवाब नहीं। हार्दिक बधाई इस शानदार कविता के लिए।

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  2. वाह! सुन्दर अति सुन्दर, ईश उत्कृष्ट सम्मान समारोह के लिये आप सहभागियो के लिये हार्दिक हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं है आदरणीय "राजकुमार जैन, राजन सर एवं भिसे सर!। आप सदैव उच्चतमको प्राप्त करे।

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