🌞 मन पखेरू 🌝
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विधा: हाइकु
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चंचल मन
चारों दिशा विचरै
जस पवन।
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पावन मन
चाहे सबकी खैर
चाहे हो बैर।
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मन पखेरू
सुख-दुख औ' प्यार
ले हैं सवार।
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मन न माने
किसी को भी पराया
हो सबै साया।
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चल रे मन
रूक न पथ पर
धीरज धर।
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5 अगस्त 2020
*मच्छिंद्र भिसे*©®
सातारा (महाराष्ट्र)
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