मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

●गगन को हम नापा करें ●


●गगन को हम नापा करें ●
   (कविता)
चाहत हो बन पथिक
मील के पत्थर बन हम बैठा करें,
बुलंद हो हौसले और
भुजाओं में बल इतना भरे
गगन को भी हम नापा करें।

रोकेगा कौन तुम्हें
जब श्वास-विश्वास ले पंख पसारे,
होंगे ऊँचे पहाड़ नत हर पल
मेहनत से जीवन में रंग भरे
हिम्मत अपनी कभी न हारे।

चल पड़े मंजिल की ओर
होंगे काँटे ही काँटों की तारें,
रुकें न कदम तेरे कभी
सभी जय जयकार  करें
तुझपर कभी जो जलते थे सारे ।

पथ न छूटे कभी अपना
मिलें छल-कपट के बाड़े,
मिलेंगे रोकने वाले भी रोड़े
देख! शूल भी फूल बनेंगे सारे
बिछेंगी पथ पर तेरे प्रसून बहारें।

साथ अपनों का भी छूटेगा
फिर भी मन कष्ट न करे,
वक्त का पाँसा जब भी गिरे उल्टा
इतने बुलंद हौसले करें
वक्त भी हमारे यहाँ झूक पानी भरे।

हो भुजाओं में बल इतना
गगन को भी हम नापा करें।
-०-
२३ फरवरी २०२०
● मच्छिंद्र भिसे ●
(अध्यापक-कवि-संपादक)
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
-०-

5 comments:

  1. बहुत सुंदर।सकारात्मक संदेश देती उम्दा रचना के लिए हार्दिक बधाई।
    ● राजकुमार जैन राजन, आकोला, राजस्थान

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  2. आदरणीय बहुत ही उत्तम विचार युक्त हृदय स्पर्शी मार्मिक रचना की है। सादर अभिवादन।

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  3. बहुत खूब सर

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    Replies
    1. बहुत सुंदर रचना है सरजी

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  4. सर जी बहुत प्यारी रचना है।
    दिल से,आपकी रचना शैली अद्भुत है।
    आपका मित्र,
    अनिल पाटील,हिंदी अध्यापक,
    सारजाई कुडे विद्यालय,धरणगाव,
    जिला-जळगाव,महाराष्ट्र।

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