💐😔💐श्रद्धासुमन अर्पण💐😔💐
पुलवामा में घटी घटना ने हर एक भारतीय दिल को दहला दिया है. पूरा भारतवर्ष शहीदों के यकायक अवसान से आहत हैं. भारतीय सेना ने हमेशा शांति और शौर्य की कहानियाँ लिखीं है. पुलवामा में आतंकवादीयों के नापाक इरादों की वजह से अपने जवानों की जानें गईं. हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. हम प्रार्थना करते है कि शहीदों के परिजनों को ईश्वर इस आघात से उभरने हेतू हौसला प्रदान करें.
हर भारतीय को अपने वीर सपूतों पर गर्व है. एक बलिदान पर सौ-सौ नए वीर तैयार करने की प्रेरणा देनेवाले वीर इस भूमि पर न्योछावर हुए हैं. हम उन्हें सलाम करते हैं. भारत भू का हर सपूत पुन: पुन: समर्पित होने के लिए लालायित हैं. यही शहीदों के मनोभाव एवं मातृभूमि के प्रति प्रेम दर्शानेवाली एक रचना उनके प्रति श्रद्धा एवं कृतज्ञता हेतू प्रस्तुत है.
🌹😔🌹😔🌹😔🌹😔
बलिदानी वीर-सपूत
***********
हे मातृभूमि माफ करना एक बार हमें,
जब आएँगे वापस समा लेना अपने जहान में.
चल पड़े थे हम शीश चढ़ाने तुमपर ऐ वतन,
शहीदी मिलीं बिना किए तुमपर कुछ अर्पण,
पर कभी सोचा न था, हमने अपने जहन में,
खाली हाथ लौटूँगा माँ, तिरंगे के कफन में.
बचपन में बुनाया था एक ही सपना,
वतन की सेवा ही करना फर्ज हो अपना,
पर कभी चाहा न था, बहे गंध वो पवन में,
जिसमें सुगंध न हो, शहादती खून वतन में.
मात-पिता के आशिष वचन हो गए सफल,
सीने पे वर्दी दिल में गुँजी रक्षा की पहल,
पर कभी माँगी न थी, शौर्य की गुँज आसमान मेें,
जहाँ सीने में न हो, गोलियों की बाग बहार में.
दुवाएँ कबूल हुईं देशवासियों सभी तुम्हारी,
मिली खाली में हाथ दुआओं में जन्नत सारी,
पर कभी खुशी न मिलेगी, सिवाए वतन प्यार में,
जहाँ खुशियाँ लिखी गईं हैं, गंगा-सिंधु की धार में.
दुआ माँगते हम यमराज से भेज दो वापस वहीं
जहाँ सूरमा खड़े हैं, शीश चढ़ाने वतन पे कहीं,
शांति न मिलेगी हमें, खाली हाथ आए स्वर्ग में,
चाहते हैं गहरी नींद, लड़ते-लड़ते वतन की गोद में.
💐😔💐😔💐😔💐😔
✒रचनाकार✒
मच्छिंद्र भिसे,
अध्यापक,
ग्राम भिरडाचीवाडी,
डाक भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
9730491952 / 9545840063
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पुलवामा में घटी घटना ने हर एक भारतीय दिल को दहला दिया है. पूरा भारतवर्ष शहीदों के यकायक अवसान से आहत हैं. भारतीय सेना ने हमेशा शांति और शौर्य की कहानियाँ लिखीं है. पुलवामा में आतंकवादीयों के नापाक इरादों की वजह से अपने जवानों की जानें गईं. हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. हम प्रार्थना करते है कि शहीदों के परिजनों को ईश्वर इस आघात से उभरने हेतू हौसला प्रदान करें.
हर भारतीय को अपने वीर सपूतों पर गर्व है. एक बलिदान पर सौ-सौ नए वीर तैयार करने की प्रेरणा देनेवाले वीर इस भूमि पर न्योछावर हुए हैं. हम उन्हें सलाम करते हैं. भारत भू का हर सपूत पुन: पुन: समर्पित होने के लिए लालायित हैं. यही शहीदों के मनोभाव एवं मातृभूमि के प्रति प्रेम दर्शानेवाली एक रचना उनके प्रति श्रद्धा एवं कृतज्ञता हेतू प्रस्तुत है.
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बलिदानी वीर-सपूत
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हे मातृभूमि माफ करना एक बार हमें,
जब आएँगे वापस समा लेना अपने जहान में.
चल पड़े थे हम शीश चढ़ाने तुमपर ऐ वतन,
शहीदी मिलीं बिना किए तुमपर कुछ अर्पण,
पर कभी सोचा न था, हमने अपने जहन में,
खाली हाथ लौटूँगा माँ, तिरंगे के कफन में.
बचपन में बुनाया था एक ही सपना,
वतन की सेवा ही करना फर्ज हो अपना,
पर कभी चाहा न था, बहे गंध वो पवन में,
जिसमें सुगंध न हो, शहादती खून वतन में.
मात-पिता के आशिष वचन हो गए सफल,
सीने पे वर्दी दिल में गुँजी रक्षा की पहल,
पर कभी माँगी न थी, शौर्य की गुँज आसमान मेें,
जहाँ सीने में न हो, गोलियों की बाग बहार में.
दुवाएँ कबूल हुईं देशवासियों सभी तुम्हारी,
मिली खाली में हाथ दुआओं में जन्नत सारी,
पर कभी खुशी न मिलेगी, सिवाए वतन प्यार में,
जहाँ खुशियाँ लिखी गईं हैं, गंगा-सिंधु की धार में.
दुआ माँगते हम यमराज से भेज दो वापस वहीं
जहाँ सूरमा खड़े हैं, शीश चढ़ाने वतन पे कहीं,
शांति न मिलेगी हमें, खाली हाथ आए स्वर्ग में,
चाहते हैं गहरी नींद, लड़ते-लड़ते वतन की गोद में.
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✒रचनाकार✒
मच्छिंद्र भिसे,
अध्यापक,
ग्राम भिरडाचीवाडी,
डाक भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
9730491952 / 9545840063
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