काव्य रचना : प्यार की होली
खाली जिसकी प्यार की झोली,
कैसे मनाएँ वे होली और दीवाली ?
प्यार भाव जब पनपेगा दिल में,
आए दिन मनाओ सुख की दीवाली.
अपने संगी साथी छूटते,
ताना देते बात से कटते,
अब कैसे बने बात अनहोनी,
जीवन बनता उलझी पहेली.
बैरी आपके साथ है चलते,
मन में फिर कैसे द्वेष है पलते ?
प्यार से सबको मीत बनाओ,
पाले न द्वेष मन हो जाए खाली.
प्यार न जिसमें वो मानव मन,
कैसे पार हो उसका जीवन ?
बनके अकेला फैलाएँ झोली,
कहते तुमने मति क्यों न संभाली ?
हो प्यार मन आस भली,
जीवन भर करें रखवाली,
देते-पाते प्यार सभी से,
अब आए दिन मनाएँ दीवाली.
प्रेम का धागा और ही कच्चा,
साथ निभाओ बनके सच्चा,
टूटेगा धागा प्यार का एक दिन,
फिर सुलगेगी जीवन की होली,
प्यार को जानो समझो प्यारे,
जहर में भी अमृत पसारे,
क्लेश, द्वेष मिटाता भरम का,
प्यार है आसमान-सी मिश्री की थाली,
तन मिटता पर प्यार न मिटता,
मिटने पर भी जीना सिखलाता,
प्यार करें पल-पल सबसे,
बने आपकी प्रीत मतवाली.
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