मन गुढीपाड़वा
खुशियों का दिन आया,
नववर्ष त्यौहार सज-धज आया,
आँगन में रंगों के रंग निराले,
मन भरने गुढीपाड़वा आया।
गुढ़ी अब परवान चढ़ी,
मन में नई उमंगें बढ़ी,
जीवन स्तंभ बने कर्म,
गुढीपाड़वा गुनगुनाते आया।
मन का कटु नीम मिटे,
प्रेम गुड़ से प्यार जुटे,
रिश्तों की माला बुने आज,
प्रेम-स्नेह का बंध ले आया।
आस्था, विश्वास, प्रेम से,
नववर्ष रंग भरने आया,
रवी समान प्रकाशित हो जीवन,
पावनपर्व की कामनाएँ ले आया।
सफलता के दीप उजाले से,
सुबह का दूत भी शरमाए,
दस-दिशाओं में फहरे पताका,
कामना ऐसी गुढीपाड़वा ले आया।
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