मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

चमकीला रंग (लघुकथा) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'


चमकीला रंग
(लघुकथा)
होली के दिन चारों ओर रंग की बात हो रही थी, मैं तो पूरा रंगारंग हो गया था। हाथ में चमकीले रंग की थैली लेकर सामने जो आए उसपर रंग ऊँडेल रहा था। यकायक मेरी नजर हमारे नए पडोसी सदानंद पर गिरी। लेकिन यह क्या! सदानंद के चेहरे के रंग बेरंग थे। चारों ओर खुशियों के माहौल में सदानंद का मायूस चेहरा मेरी खुशियों के रंगों को भंग कर रहा था। न रहकर पूछा, “क्यों सदानंद, आनंद के दिन सदानंद के चेहरे का आनंद फीका क्यों हैं?”
पर यह क्या! सदानंद की ओर से कुछ जवाब नहीं। उसके कंधे पर हाथ रखकर विनम्रता से पूछा, “ आखिर बात क्या है?” सदानंद ने रुआँसा होकर कहा, “पिछले वर्ष इसी दिन होली खेलते वक्त किसी ने मेरी बेटी पर चमकीला रंग बेटी पर ऊँडेला था, जो उसकी आँखों की चमक ले गया।” घर के अंदर से सिसकने की आवाज आई। झाँककर देखा - बेटी आँखे मल-मलकर देखने की कोशिश कर-करके रोते जा रही थी। मेरे हाथ-पाँव थर्राने लगे। मेरे हाथ से चमकीले रंग की थैली कब की गिर चुकी थी।
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24 मार्च 2021
मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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