मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

मित्रता दिवस - ४ अगस्त २०१९

          मेरे सभी मित्रबंधुओं, मित्रसखियों को आपके-अपने मित्र का हार्दिक अभिवादन !!! सबसे पहले आप सभी को मित्रता दिवस की शत्-शत् मंगलकामनाएँ !!!
जीवन के किसी न किसी मोड़ पर आप मुझे मिलें और जीवन में बहार लायी. पाठशाला और कॉलेज के दिनों बहुत से सखाओं की निस्वार्थ साथ मिली जिससे जीवन में दोस्ती शब्द का अर्थ समझ आया. पहले झगड़ा फिर रूठना, मनाना, पढ़ाई की नोंकझोंक और न जाने क्या-क्या? इन अठखेलियों ने दोस्ती को और गहरा और अटूट बना दिया. बचपन के सभी, कभी न दिल से अलग होने वाले बालसखाओं के प्रति कृतज्ञ स्मरण.
जिम्मेदारी और कर्तव्य जीवन मार्गक्रमण में दोस्त स्वरूप धन में वृद्धि हुई. विभिन्न जगहों पर काम करते वक्त तथा बी.एड. कॉलेज की शिक्षा के वक्त भी जी-जान से प्रेम करने वाले और हमेशा साथ देते आए मित्रबंधुओं का स्मरण. शिक्षा क्षेत्र में आने के बाद तो दोस्त स्वरूप धन में  निरंतर वृद्धि हो रही है. जो मेरे जीवन को समृद्ध करने में सहयोगी बन रहा है.
साहित्यिक सृजन और हिंदी प्रचार-प्रसार के काम में मुझे प्रोत्साहित करने तथा आगे बढ़ने के लिए हमेशा साथ रहने वाले सभी गुरू जन, साहित्यकार मित्रों का नित्य स्मरण आवश्यक मानता हूँ.
सबसे करीब मित्र मैं जिन्हें मानता हूँ वे मेरे माता-पिता, ज्ञानदाता, पूरा छात्र वर्ग, सहपाठी, मार्गदर्शक, कठिन समय में अज्ञात होकर भी साथ देने वाले सभी मेरे मित्र और सखियों को भूलना असंभव हैं. भले ही प्रत्यक्ष बात न हो पाए तो भी आप मेरे थे, मेरे हो और मेरे रहोगे.
आप सभी को मेरा सादर अभिवादन.

आपका दोस्त
*मच्छिंद्र भिसे*
सातारा-महाराष्ट्र.
🌹🙏🌹🙏🌹🙏

🌹मित्रता दिवस पर🌹

मित्र जौहरी

मित्र ! शब्द को जब भी सुनता हूँ मैं,
अक्सर कई मुस्कराती तस्वीरें सरसरी से,
मानस पटल पर एक-एक कर उभर जाती हैं,
किसे अपना करीब कहूँ या सिर्फ नाम का,
न जाने कितने ही सवाल पैदा कर जाती हैं.

बचपन से लेकर आज तक,
कदम से कदम मिलें कईं
और छूटे हैं कभी किसी मोड पर,
पर दिल में आज भी  वे जीवित हैं,
बस! दोस्ती के एक नाम पर,
फिर क्यों  वो यादें ताजा हो जाती हैं और,
मेरे दोस्त हैं वो इसका एहसास दे जाती हैं.

खुशी में तो शरीक होते है सभी
गम के वक्त, भाई दोस्त ही काम आए,
न जाने दोस्ती के नाम कितने ही डंडे खाए,
बचाने के खातिर हमें माँ-बाप से डाँट पाए,
खुशी और गम में उफ् तक न किया कभी,
बेशरम की हँसी-खुशी से मैं जला था कभी,
यही जलन आज दोस्ती की मिसालें दे जाती हैं.

आज दोस्तों दोस्ती खुदगर्ज बनती है,
वास्ता देकर दोस्ती का खंजर खौंप जाती है,
दोस्त, यार, भाई कहकर जहर पीरों जाती है,
फेर देखकर समय का कौन हो तुम पूछ जाती है,
सावधान रहे उनसे जो चापलूसी को बने दोस्त हैं,
लेकर इम्तिहान कभी दोस्ती का  देखो यारों,
दोस्ती ही सारे सवालों के जवाब दे जाती है.
-०-
४ अगस्त २०१९
कवि:
*मच्छिंद्र भिसे*
अध्यापक-कवि-संपादक
भिरडाचीवाडी, पोस्ट भुईंज,
तहसील वाई, जिला सातारा. ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
मो. 9730491952
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

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