हाइकु - मानव साँस -पेड़
नाचीज बीज
मिट्ठी में गढ़ जाता
पेड़ को सींच ।
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जड़े गढ़ती
धरा में गहरी-सी
पेड़ बढाती।
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सीने-सा तना
मजबूती बेजोड
बहरा पेड़।
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डालें है खिली
रंग बिखरे नेक
मानव देख ।
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साँस आखरी
खशबू बिखरें हैं
फूल बैरागी।
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फूल से फल
नियति है नियम
बनें कायम ।
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फल हैं खाए
जीव जगत सभी
पेड़ को भाए ।
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दानी स्वभाव
स्विकारें जीव मन
बनें पावन ।
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सुखे हैं पेड़
उम्रभर दे दान
कर्म महान ।
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चाह न छूटी
कटी टहनी खंड
जीती अखंड ।
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ज्ञानी मानव
साँस लिए भटके
हम न कटे।
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अर्ज हमारी
कहते पेड़ सभी
जीने दो अभी ।
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पेड़ कटेंगे
मानव बस्ती वास्ते
आप मिटेंगे ।
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परोपकार ही
जीवन प्रतिक्षण
पेड़ का मन।
रचना
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे
उप अध्यापक
ग्राम भिराडाचीवाडी
पोस्ट भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा - 415 515 (महाराष्ट्र)
9730491952 / 9545840063
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