
●एक प्यारी तितली●
(बाल गीत)
एक प्यारी तितली उड़ी चली
खुशियाँ बहार देती चली
न जाने कहाँ उड़ी चली
इस कली या उस गली
एक प्यारी तितली उड़ी चली।
बगियन में हैं फूल हजार
इंद्रधनुष्य-सी बिछी बहार
सखियों संग करें बातें चार
भँवरों की भी लगी है कतार
न जाने क्या वहाँ फँसी चली
एक प्यारी तितली उड़ी चली।
तितली हमारी है नादान
भँवरे भी करते परेशान
सुंदरता की वह है खान
काँटों में ना अटके जान
लौट आ जाए अपनी गली
एक प्यारी तितली उड़ी चली।
बिन तितली के आँगन सूना
ना कोई अनहोनी हो ना,
तितली के बिन आए न चैना
बाँट जोहते मेरे नयना
न जाने कहाँ रुकी भली
एक प्यारी तितली उड़ी चली।
-०-
15 दिसंबर 2019
● मच्छिंद्र भिसे ©®
(अध्यापक-कवि-संपादक)
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●उपरोक्त रचना मौलिक, अप्रकाशित है●
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