मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

हाइकु : नारी जगत

        आज विश्व की महिलाओं ने ऊँचे मक़ाम हासिल किए हैं. घर चलाने से लेकर देश चलनेवाली कई महिलाएँ अपना योगदान दे रही हैं. आज महिलाओं के लिए कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा. बस हमारी सोच बदलनी चाहिए. सिर्फ पुरुष वर्ग ही नहीं महिला वर्ग की भी सोच बदलनी होंगी. आज सिर्फ पुरुषप्रधान परिवार पद्धति न होकर महिला प्रधान की हो चुकी है. बस एक कदम आगे बढाए और महिलाओं को सम्मान एवं संबल देकर आसमान को छूने की प्रेरणा दीजिए. यह बात सिर्फ दूसरी नारियों के सम्मान की नहीं हैं अपने घर में होने वाली नारियों के साथ भी आत्मीयता का व्यवहार नियमित करेंगे तभी सही मायने में महिलाओं का सम्मान होगा. यह बात सिर्फ महिला दिवस के अवसर पर न होकर हर दिन हो तो समय बदलने में देर नहीं लगेगी.

 आदरणीय महिलाओं के लिए कुछ हाइकु की पंक्तियाँ 
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नारी सम्मान,
कीजिए सभी जन,
जी हो पावन। 
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जीवन धरा,
नारी बिन पुरूष,
रहे अधूरा। 
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माँ की ममता,
आँचल में निश्चिंत,
मधु घोलता। 
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प्यारी बहना,
राखी कलाई सजे,
पीड़न तजे। 
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पत्नी का साथ,
जीवन का रीवाज,
बनता साज। 
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भाभी चंचल,
सुख अपार जैसे,
माँ का आँचल। 
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सखी सहेली,
प्यारी अठखेलिया,
गाँव की गली। 
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प्यारी भौजाई,
परिवार की प्यारी,
मेरी दुलारी। 
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आधार वो ही। 
ताई जी सरकार,
बाँटती प्यार। 
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मौसी का घर,
माँ-सा मिलता प्यार,
ना तकरार। 
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मामी का गाँव,
छुट्टियों में सबका,
रहता ठाँव। 
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बुआ दे मेवा,
आए बरसों बाद,
ना अवसाद। 
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नानी सुनाती,   
नित नई कहानी ,
लागे सुहानी। 
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दादी की गोदी,
सुख-दुख बाँटती,
मंद मुस्काती। 
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ननद मेरी,
सखी बनी नवेली,
मन की भोली। 
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छूटे ममता,
माँ के आँचल की वो,
विश्व रूकता.
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नारी जो रूठे,
जग बैरी हो जाए,
दिन न कटे.
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हाइकु रचनाकार 
नवकवि 

श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 

उपशिक्षक 
ज्ञानदीप इंग्लिश मेडियम स्कूल, पसरणी। 
भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
चलित : ९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३

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