मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

काचू की टोपी : गोविन्द शर्मा

बालसाहित्यकार एवं लघुकथाकार 
गोविन्द शर्मा 
लेखक परिचय
जन्म तिथि : 04.06.1946
जन्म स्थान : संगरिया
शिक्षा : बी. ए., प्रभाकर, साहित्य रत्न, विद्या-वाचस्पति(मानद्)
पारिवरिक परिचय :
माता - स्वर्गीय श्रीमती जीवनी देवी।
पिता - स्वर्गीय श्री बजरंगदास।
पत्नी - श्रीमती लीला शर्मा।
संतान : पुत्री - श्रीमती सरिता माटोलिया।
पुत्र - श्री संदीप शर्मा ।
पौत्र - अंबुज, रितिक।        
साहित्यिक रचनाएँ 
बाल उपन्यास : दीपू और मोती, डोबू और रामकुमार
बाल कहानी संग्रह : दीपू और मोती, ऐसे थे स्वामी केशवानंद, चालाक चूहे और मूर्ख बिल्लियां, कहानी केशवानंद की, सबका देश एक है, सवाल का बवाल, मुझे तारे चाहिए, कालू कौआ, मुकदमा हवा पानी का, समझदारी से दोस्ती, हम बच्चों के प्यारे, विश्व के सात आश्चर्य, अपने अभयारण्य, चीची ने किया कमाल, हमें हमारा घर दो, मेहनत का मंत्र, सबसे बड़ा तिरंगा, दोस्ती का रंग, खैरू जीत गया, दोस्ती का दम, लोमड़ी का तोहफा, डोबू और राजकुमार, बबलू नाचा झूमकर, मटकू बोलता है
नाटक संग्रह : नया बाल दिवस
व्यंग्य संग्रह : कुछ नहीं बदला, जहाज के नए पंछी
जीवनी : ऐसे थे स्वामी केशवानंद, कहानी केशवानंद की, स्वामी केशवानंद, खूबराम सत्यनारायण सर्राफ
लघुकहानी संग्रह : रामदीन का चिराग

सम्मान / पुरस्कार
      शंभूदयाल सक्सेना बालसाहित्य पुरस्कार (राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर), भारतेंदु बाल साहित्य पुरस्कार, श्रीमती शकुंतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार, साहित्य परिषद् सिरसा, स्वामी केशवानंद स्मृति ट्रस्ट (संगरिया),  ब्रजेश्वर स्वरूप स्मृति बालसाहित्य पुरस्कार (धरोहर स्मृति न्यास, बिजनौर द्वारा), बाल वाटिका सम्मान (भीलवाड़ा), स्व. कमल स्तोगी साहित्य शिरोमणि सम्मान (खटीमा) तथा अन्य।

मेरे मन की बात
           ४ जून १९४६ के दिन संगरिया, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान में जन्मे हमारे परम मित्र तथा हितचिंतक गोविन्द शर्मा जी आधुनिक हिंदी साहित्य क्षेत्र के बालकथाकार, लघुकथाकार एवं संपादक के रूप में ज भारतवर्ष की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से आपका परिचय सभी को है। महाराष्ट्र राज्य में नागपूर से प्रकाशित नागपुर समाचार पत्र (हिंदी) में आपकी लघुकथा रचनाएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती हैं। आप की कई रचनाएँ देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षा पाठ्यक्रम में अध्ययन-अध्यापन हेतु लगी हैं। इस वर्ष महाराष्ट्र की कक्षा १० वीं के लोकवाणी पाठ्यपुस्तक में आपकी एकांकी 'मुक़दमा : हवा-पानी का' लगी है। राजस्थान शिक्षा विभाग की ओर से प्रकाशित 'बगिया के फूल' किताब का संपादन आपने किया है. आपको देश का प्रतिष्ठित भरतेंदु पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा शम्भूदयाल सक्सेना बालसाहित्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया हैं साथ ही अन्य दर्जनों पुरस्कार आपके कार्य को लेकर प्रदान किए गए हैं। सम्प्रति आप बालसाहित्य के साथ मौलिक प्रौढ़ लघुकथाओं के लेखन के साथ जुड़े हुए हैं। आपके कार्य को सादर वंदन तथा आपको दीर्घायु की मंगलकामनाएँ देते हुए आपके मौलिक कार्य हेतु समस्त महाराष्ट्र राज्य हिंदी अध्यापक, विद्यार्थी एवं साहित्यप्रेमियों की ओर से हार्दिक-हार्दिक बधाईयाँ देते हैं। 
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(बालकथा-संग्रह)
काचू की टोपी 
गोविन्द शर्मा 
समीक्षक : मच्छिंद्र भिसे
         हिंदी बालसाहित्यकार आदरणीय गोविन्द शर्मा जी का बालकथा-संग्रह 'काचू की टोपी' भेंट के रूप में ९ मई २०१८ के दिन मिला। किताब का आकार, जिल्द, पन्ने एवं कहानी से संबंधित सुयोग्य चित्रकारिता को देखकर ही यह अनोखी कृति आकर्षित करती है। इससे ही पता चलता हैं कि इसके पीछे लेखक एवं प्रकाशक की मेहनत
अधिक हुई है। A4 आकार में बनी मजबूत जिल्द पर मुखपृष्ठ ही इस कृति की आत्मा की पहचान करा देता है। रंगीन मुखपृष्ठ पर शीर्षस्थ कहानी का नायक कोचू बाग में लगी कुर्सी पर लेटा हुआ बालकों सहित रसिक साहित्यप्रेमी को आकर्षित करता है। मलपृष्ठ पर रचनाकार का पूरा परिचय सचित्र दिया गया हैं जिसके कारन रचनाकार की साहित्यिक आभा के दर्शन एक नजर में होते हैं। इस कृति में स्तरीय उन्नीस बालकहानियों का सचित्र संग्रह अड़सठ पृष्ठों में बंधा हुआ है।
           बालसाहित्य क्षेत्र में काम करनेवाले हर साहित्यिक की दृष्टि तो एक ही होती हैं कि अपने साहित्य के माध्यम से बाल जीवन में आयु के अनुसार व्यक्तित्व विकास हो। गोविन्द शर्मा जी की कृति 'काचू की टोपी'  बालकों के व्यक्तित्व के साथ ही प्रौढ़ व्यक्तित्व को निखारने में सहायक सिद्ध होगा और है। इस किताब की हर रचना मानवी जीवन मूल्यों को बढ़ावा देती हुई उसे अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली है। बालक इन कथाओं को सुनकर अथवा पढ़कर इसके जीवन मूल्यों को स्वीकारेंगे इसमें कोई दो राय नहीं होगी। इस किताब की रचनाओं में सच्चाई, ईमानदारी (काचू की टोपी), सहायक वृत्ति, मौज-मस्ती के साथ प्रेम (ईश्वर), दोस्ती और अपनत्व भाव (दोस्ती का पूल), होशियारी, निडरता, भूतदया, शिक्षा में अभिरुचि (मोबाईल कबूतर), सहकारिता, निस्वार्थ वृत्ति  दर्शन), समझदारी, सूझबूझ (अब नादानी नहीं), अहंकार का त्याग, कर्तव्यधर्म (तारक की वफ़ादारी), स्व की पहचान, चतुराई (चूहों की  घंटी), श्रमप्रतिष्ठा (नींद की गोली), वृत्ति, सहकारिता (नाव से आगे), वचनपूर्ति, विश्वसनीयता (दोस्ती तेजु और सुस्तू की), दयालुता, जैसी करनी वैसी भरनी का स्वभाव (सीख सुहानी बचपन से), कपोल कल्पना फ़ोल तो वास्तवता का परिचय (सुपर साइकिल), आत्मनिर्भरता, विनयशीलता, सकारात्मक सोच (किताबों के पैर), कठिनाई में सावधानी तथा चालाकी  के लाभ (शेर की आजादी), न्यायप्रियता, ममता (घोड़ी का बच्चा), चोरी से परे रहने की प्रेरणा (बेरी का भूत), सामान्य स्वभाव वृत्ति, ताकद से बढ़कर दिमागी शक्ति बड़ी होने की सीख (शेर- चिड़िया की दोस्ती), बुराई का फल बुरा तो सच्चाई के फल मीठे होते हैं (रस्सी बोली) आदि जीवन मूल्य एवं बोधप्रद कहानियों का यह सर्वोत्तम संग्रह हैं। 
          'काचू की टोपी' की कथाएँ बालकों को नई ऊर्जा, सोच एवं दिशा प्रदान करनेवाली हैं। बालकों सहित सभी वर्ग के  पाठकों को यह रचना पसंद आएगी। यह साहित्यिक कृति हर बच्चे, हर पाठशाला एवं हर अभिभावक के पास अपने बालको को प्रेरित एवं जीवन विकास हेतु होना ही चाहिए।  
          गोविन्द शर्मा जी को इस कृति हेतु बहुत-बहुत बधाईयाँ। साहित्यिक सेवा आपकी ओर से दिनोंदिन वृद्धिंगत हो यही हमारी ओर से हार्दिक-हार्दिक मंगलकामनाएँ !!!!!

- मच्छिंद्र भिसे 
अध्यापक,
सदस्य, हिंदी अध्यापक मंडल, सातारा (महाराष्ट्र)
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समीक्षक 
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 
अध्यापक 
ग्राम भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
चलित : ९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३
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