मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

हाइकु - जीवन सच - बुढ़ापा


यौवन जाता
बसेरे में अकेले
बुढ़ापा गाता।
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उम्र है ढली
दर्दी बादल छाए
बुढ़ापा गली।
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बेटे सहारा
जीवन हो गुजारा
बुढ़ापा सारा। 
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बहु के हाथ
पकवान खुशबू
गज़ब बात।
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पोता औ पोती
दादा-दादी कहती
लोरी सुनती।
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पारिवारिक
जिम्मेदारी है बाँटी
बेटा औ बेटी।
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उम्र है बढ़ी
रिश्तों के बीच अब
दीवार खड़ी।
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बुढ़ापे आँसु 
माता-पिता के अर्ज 
निभाओ फर्ज। 
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बेटा वो बेटी 
बुढ़ापा दरवाजे
रूखी-सी रोटी।
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बुढ़ापा सहारा
माँगा बेटे का साथ
करें दो हाथ।
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बहु के हाथ
मीठा पकवान भी
देता न साथ।
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झुर्रियां बढ़ी
लोरियाँ हैं बेरंग
बच्चे न संग।
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चेहरे रंग
देख हो गए सारे
सपने भंग।
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नाता टूटता
बुढ़ापे में अाप ही
हाथ छूटता
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बुढ़ापे साथी
पत्नी ही जो बनती
दीया की बाती।
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बुढ़ापा अब
सिर पर है चढ़ा
मैं एक खड़ा।
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जीवन संधी
करते कैसे फिर
बहते नीर।
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मुख झुर्रियाँ
दिल में है कसक
रूठी पलक।
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तजुर्बा साथ
कितने ऋतुओं का
देता न साथ।
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ताने ही सुने
कब तक ये सहे
टूटे सपने।
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काल कोठरी
घर बना हमारा
ख़त्म सहारा।
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बढ़ी है खाँसी
बार-बार बुखार
हस्ती भी हँसी।
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दर्द से आह
मौत आखरी बने
दर्द बिछोह।
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प्रश्न अनेक,
जीवन ढलान में,
साथी न नेक.

रचना 
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 
उप अध्यापक
ग्राम भिराडाचीवाडी
पोस्ट भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा - 415 515 (महाराष्ट्र)  
9730491952 / 9545840063 
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