(कविता)
आज संसार झूम रहा है
खुशियों की बहारें छायी हैं
दिल में भरने अरमान नए
देखो दिवाली आयी है।
रंगोली में नव रंग भरें
मन उमंग छायी है
कुमकुम-कंगन साज से
नव तराने ले दिवाली आयी है।
दीप जल रहे घर-आँगन में
चमक उजियाले की छायी है
झूम-झूमकर दीप बतियाता
उजास ले दिवाली आयी है।
मीठे पकवान से थाल सजी है
हर जुबाँ पर मिठास छायी है
बटेंगे हम आप-अपनों में
मिठास भरने दिवाली आयी है।
आओ सब मिल खुशियाँ बाँटे
चहुँ ओर खुशियाँ छायी है
एकता, बंधुता और स्नेह की
सबकी-अपनी दिवाली आयी है।
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● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'●
सातारा (महाराष्ट्र)
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सृजन महोत्सव पत्रिका
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