
■ आओ दिवाली मनाए ■
(कविता)
एक ज्योति आप जलाए
बातियाँ लौ हम भी जलाए,
आओ रोशन कर दे जहाँ
आओ दिल के दीप जलाए।
खुशियों का त्योहार पावन
लगता है सबको मनभावन,
आओ मिलकर रंग भरे
दुख-मोह के सब पाश हरे,
आओ स्नेहबंध में बंध जाए
आओ प्यार से हाथ बढ़ाए।
मिठास जो ले आए दिवाली
मन में सदा खिलें खुशहाली,
आज की न, न पल की हो
अपनी दिवाली हर पल की हो,
मिठास कभी न कम हो जाए
आओ प्यार की मिश्री घुलाए।
रोशनी-सा चमके जीवन
पक्वानों-सा महके आँगन,
रंगोली-से रंग भर जाए
अबर-भुवन प्यार बरसाए,
आस्था विश्वास के दीप जलाए
आओ मिलकर दिवाली मनाएँ।
-०-©®
24 अक्बतूर 2022
रचनाकार: मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©®
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका, सातारा (महाराष्ट्र)