मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

अनाम रंग (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

अनाम रंग  

(कविता)

इंद्रधनु के रंग सब देखें
सप्तरंग खिल जाते हैं
रंग हमने वे कभी न देखें
चेहरे के पीछे जो छिप जाते हैं।

कभी डगर पर चलते-चलते
गम और ख़ुशी के छलकते हैं
दूर क्षितिज पर पहुँचते ही
पगचिह्नों-से मिट जाते हैं
तुलिका से क्या छिड़क सकेंगे?
जो दर-बदर छप जाते हैं।

अनहोनी जो विपदा की
रंग, बेरंग जब हो जाते हैं
कहे रंगीन सपने बुने थे हमने
वे रंग कहाँ छिप जाते हैं
चितेरा क्या फिर उभर सका है
रंग अनाम जो उमड़ आते हैं।

साथ चले फरेब, चालाकी
गद्दारी, बेईमानी और अनेकी
रंग इनके कैसे जान सकें हम
किसी चितेरे ने आँखों न देखी
हम तो हँस-हँस साथ चले मगर
वे सब हमें बेरंग कर जाते हैं।  

न कोई चितेरा और तुलिका
जो औरों के जीवन में रंग भरें
खुद ही अपनी श्रम तुलिकारंसे
निज जीवन को रंगीन करें
नित्य रंग चढ़ाओं आप जीवन में
पीछें रंगीन निशान छूट जाते हैं।
-०-
14012021
रचनाकार:  मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©® संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका,  सातारा (महाराष्ट्र)

संपर्क पता
● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'  
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका
भिरडाचीवाडी, डाक- भुईंज,  
तहसील- वाई, जिला- सातारा महाराष्ट्र
पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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