मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

● वह माली बन जाऊँ मैं !●

● वह माली बन जाऊँ मैं !●
   (कविता)
पौधे सारे बच्चे हमारे
ज्ञान मंदीर जब आएँगे
कलरव होगा, क्रंदन होगा
रोना-धोना समझाएँगे
स्नेह रिश्ता ऐसा जोडूँ
प्रीत से उपजाऊँ मैं
वह माली बन जाऊँ मैं!

सदाचार की टहनी और
कोंपल उगे विनयता के
प्यारी बोली के रोए आएँगे
प्रेम के गीत भौंरे गाएँगे
आत्मविश्वास की कैंची से
ईर्ष्या-द्वेष-दंभ छाँटूँ  मैं
वह माली बन जाऊँ मैं!

एक दिन कलियाँ चटकेंगी
खुशबू चारों ओर फैलाएँगी
बगियाँ में फिर पौधे आएँगे
खुशियों के दामन भर जाएँगे
हर पौधे को आकार देकर
जीवन को साकार कर पाऊँ मैं
वह माली बन जाऊँ मैं!
-०-
२३ फरवरी २०२०
● मच्छिंद्र भिसे ●
(अध्यापक-कवि-संपादक)
सातारा (महाराष्ट्र) पिन- 415 515
मोबाइल: 9730491952
ईमेल: machhindra.3585@gmail.com
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3 comments:

  1. भिसे सर जी बहुत ही प्यारी सुंदर रचना है।

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  2. बहुत सुंदर रचना शिक्षक को माली प्रस्तुत करना ज्यादा प्रभावित करता है।

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  3. सरजी आपकी रचना को सादर प्रणाम बहुत ही सुंदर कविता है।।ऐसी ही कई रचना आपके करकमलोंसे निर्माण हो यही अंतर मनसे सदिच्छा

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