मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

खामोश रिश्तों की उम्मीदें

खामोश रिश्तों की उम्मीदें

सपने क्यों सजाता है कोई बताए सरकार,
खामोशी के दिन कभी हुए न साकार,
सपना खामोशी की तरह निशब्द रह गया,
बेजुबान होकर बहुत कुछ कह गया,
आज मिलेंगे स्वर निशब्द लब्ज को,
खामोशी में उम्मीदें झप्पी दे गया कोई। 

क्यों हृद पीर ने किया न सोच विचार,
सोच-से आज मन मचलता बार-बार,
जिंदगी तो बस गुजर रही है खामोशी में,
जिंदगी जीने की चाह के तलाश में,
जी सकेंगे उन हसीन बीते पलों की याद में ,
निशब्द लब्जों को स्वर दे गया कोई। 

पता नहीं खामोशी को सूर मिलेंगे या नहीं,
हृदय पीर मिटेगी या छूटेगी साँस डोर सारी,
आस है आँख में ईश्वर मिटे न मिटे हृदय पीर,
दूरी रिश्तों की मीटे भले सुखे आँख नीर,
तलाश है अब रिश्तों की साँस बनें थे कभी,
साँस में जान फँक दे गया कोई। 

स्वीकार लो हमारा स्नेह और अपनापन,
मन ना करें छोटा दिखाओ बड़प्पन,
रिश्तें कुछ नहीं माँगा करते चाहते अपनापन,
अपनापन मिलें तो जिंदगी फिर बसेगी,
जीवन अरमान के चमन में कलियाँ खिलेगी,
रिश्तें औ' जीवन में अमृत घोल गया कोई।
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रचना
नवकवि
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 

उपशिक्षक 
ज्ञानदीप इंग्लिश मेडियम स्कूल, पसरणी। 
भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा ४१५ ५१५
चलित : ९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३
प्रकाशनार्थ 
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