मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

हिंदीमय विश्व हमारा (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

विश्व का राग-अनुराग हैं हिंदी,
प्रकृति के कण-कण में जो है विराजीत,
करते है प्रणाम ऐसी अनुरागिनी हिंदी को,
जो बनाती है हर किसी को अपना मनमीत।

माँ संस्कृत की गोद में पली,
सिंधु-गंगा के लहरों पर ली अंगड़ाई,
पावन जल की ही भांति है इसका मन,
आए सभी गोद में देती रहती एक-सी प्रीत।

सदी-दर-सदी करती सबको सम्मानित,
पाकर प्यार ऐसा आज बने हम इसके मीत,
बहुत दिया इसने अब हमें देने की है कुछ बात,
विश्व स्वयं गा रहा है हिंदी के गौरव-गरिमा गीत.

साहित्य हो या दर्शन हो गीत-संगीत,
भाव हो या बोली-भाषा के गुण,
प्रकृति गाने लगी है इसकी मधुर धून,
माँ हिंदी के रंग निराले बने है जीवन गीत।

आओ भारत-भारती के सपूतों उठो,
इसे बनाए विश्व की सबकी दुलारी,
सबके दिलों में राज करें यह प्यारी,
भले ही हो जाए ईश्वर भी हमसे विपरीत।

हर भाषा के सिर-आँखों पर है हिंदी,
हर भाषा के माथे पर सजी हैं हिंदी की बिंदी,
जीव-जगत हो गंगा की धार हो सजी है प्यार से,
मिटाती मैल मन का सबके लगाती अनूठी प्रीत।

करते है प्रणाम ऐसी अनुरागिनी हिंदी को,
जो बनाती है हर किसी को अपना मनमीत.
रचना 
नवकवि
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 

उपशिक्षक 
ज्ञानदीप इंग्लिश मेडियम स्कूल, पसरणी। 
भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा ४१५ ५१५
चलित : ९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३
प्रकाशनार्थ 

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