
■ छपक-छपाक ■
(बालगीत)
रिमझिम बारिश आती है,
आँगन हमारा भिगोती है।
कीचड़ मुझको भाता है,
कपड़ों को ही रँगाता है।
छपक-छपाक कूद जाती हूँ,
कीचड़-पानी सब उड़ाती हूँ।
संगी सब जब आती हैं,
बूँदों जी भर भीगोती हैं।
बारीश तभी तू आना जी,
जब मम्मी घर न होती है।
जी करता और खेलूँ-कुदूँ,
मम्मी जोर-जोर से चिल्लाती है।
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19 मई 2025 सुबह: 08:33 बजे
रचनाकार
● मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'● ©®
सातारा (महाराष्ट्र)
सेवार्थ निवास : शिक्षण सेवक, जिला परिषद हिंदी वरिष्ठ प्राथमिक पाठशाला, विचारपुर, जिला गोंदिया (महाराष्ट्र)
9730491952
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