
■ गुरुदेवा तेरी ■
(प्रार्थना गीत)
गुरुदेवा तेरी छवि ना भूूलें
अज्ञान तम - सा मेरा जीवन
संज्ञान के आत्म दीप है जलें।
गुरुदेवा तेरी....
आप हैं तो जगत है सारा
आप बिन पाए कौन सहारा;
भटके थे हम राहें अपनी
आप नेक राह को लाए।
गुरुदेवा तेरी....
कर्मनिष्ठा की लौ जलाई
श्रमिकता की रीत बताई;
इसी डगर से गुजरे हम भी
निज मंजिल को पा लें।
गुरूदेवा तेरी....
राहें अँधियारी जब-जब पाई
अज्ञानी मन पर बदरी छायी;
आप के बस ज्ञान स्मरण से
हर घन फूल-सा खिलें।
गुरूदेवा तेरी....
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05 सितंबर 2022
रचनाकार: मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©®
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका, सातारा (महाराष्ट्र)