
■ किस्से होंगे पुराने■
(कविता)
खाली मुट्ठी आए यहाँ पर
खाली हाथ न जाएँगे,
ढल जाएगा सूरज अपना
पर याद सभी को आएँगे,
अपने किस्से होंगे पुराने
पर हर बार पढ़े वो जाएँगे।
चाहे काँटे बो दे जिंदगी
हम फूल-ही-फूल खिलाएँगे,
चाहे शोणित पग हो जाए
हँसकर कदम बढाएँगे,
तूफान चाहे जोर लगाए
पर मंजिल खिंचकर लाएँगे।
अपना हो या हो पराया
हँस-हँस गले लगाएँगे,
गिरने ना देंगे उनके आँसू
घूँट–घूँट पी जाएँगे,
मानवता का बनूँ पुजारी
जी-जान पे खेलकर जाएँगे।
मात-पिता के अहसान हमपर
सेवा से ही चुकाएँगे
जिस मिट्टी ने पाला-पोसा
बहा पसीना उपजाएँगे
फ़र्ज चुकाने आप नज्र का
काजल बन मंजीत आ जाएँगे।
-०-
16 मार्च 2022
रचनाकार: मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत' ©®
संपादक : सृजन महोत्सव पत्रिका, सातारा (महाराष्ट्र)