मच्छिंद्र बापू भिसे 9730491952 / 9545840063

'छात्र मेरे ईश्वर, ज्ञान मेरी पुष्पमाला, अर्पण हो छात्र के अंतरमन में, यही हो जीवन का खेल निराला'- मच्छिंद्र बापू भिसे,भिरडाचीवाडी, पो. भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा ४१५५१५ : 9730491952 : 9545840063 - "आपका सहृदय स्वागत हैं।"

२६/११ की अनहोनी

२६/११ की अनहोनी
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           आज से १० वर्ष पूर्व मुंबई में हुए हमले की याद आते ही मन दहल जाता है। मैं सायन के एक ऑफिस में काम पर था। यकायक शाम ४ बजे के आस-पास खबरें आने लगी कि सीएसटी पर हमला हुआ है। ट्रैन, बस सेवा बंद हो गई। तीन दिन मुंबई सहीत पूरा देश भयाक्रांत था परंतु महाराष्ट्र पुलिस और कमांडो फोर्स ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए कड़ा मुकाबला किया। परंतु दुर्भाग्य से मातृभूमि के लिए पुलिस अधिकारियों सहीत १८ सूरमा शहीद हुए, जिसमें मेरे गाँव के शहीद बापूराव साहेबराव धुरगुडे (पीएसआय) भी शहीद हुए।
        सभी ने अपने देश के लिए शहीदी दी। सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजली।
        इस घटना के शहीद वीरों को शब्दांजली...
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२६/११ पल दो पल में......
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आते देख आज की तारीख ताज भी सहम गया,
याद कर उस शहीदी को फूट-फूटकर वह रोया,
लहूलुहान थी धरा वक्त भी संभल नहीं पाया,
यमालय से भयभीत यम भी डरते-डरते आया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।

२६/११ की खुशहाल शाम दहलने लगी,
छत्रपती टर्मिनल पर गोलियाँ सूँ-सूँ चलने लगी,
मुंम्बापुरी आंतकी भय से अंतस्थ धधकने लगी,
यकायक शहर पर डर का बिछ गया था साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।

वीरों को भनक लगी, निकले लेकर जान हथेली,
बाँध कफन सिर पर, न ले सके अपनों की बिदाई,
बस एक ही अरमान था, हो देश की रखवाली,
सामने बस थी मातम और आतंक की छाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।

गोलियाँ चली घनेरी दोनों ओर से बारी-बारी,
आतंकी असुरों के मौत की हो गई तैयारी,
बढ़ गए देश के सूरमा आगेे, लेकर एक चिंगारी,
पता नहीं था उन्हें मिलेगा, देखने शांति का साया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।

घमासान हुँकार साँस रूकाए देख रही थी धरा,
आतंक मिटाते-मिटाते एक-एक सूरमा जब गिरा,
धरा-अंबर की थर्राई रूह, लगा मिटेगा जग सारा,
खत्म हुआ अातंक, आतंकी जो जाल बुनाया,
वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।

हे मातृभूमि, तेरे लिए सौ-सौ बार जनम हम लेंगे,
फिर सपूत बनकर तुझपर बलि-बलि जाएँगे,
कहते है शहीद आज, मत रो मेरे प्यारे ताज,
तेरे कारण ही तो दुनिया का प्यार है हमने पाया,
मत रो भारतमाता प्यारे शहीदों ने समझाया।

वीर सपूतों को भारत भू ने पल दो पल में खोया।
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शब्दांकन-रचना
श्री. मच्छिंद्र भिसे,
अध्यापक
ग्राम भिरडाचीवाडी,
पोस्ट भुईंज, तहसील वाई,
जिला सातारा ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
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पावन मन में दीप जलाए (कविता) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

दीपावली के पवन पर्व की मंगलकामनाएँ 
पावन मन में दीप जलाए
मन में लेकर नई उमंग,
रिश्तों में भरने मधुर तरंग
आई दीवाली लेकर प्यारे नवरंग
चलो मनाए खुशियाँ, हम सबके संग।

धन तेरस के रंग है अनेक,
संतोष मिले हमें, कार्य हो सबसे नेक,
अपना-पराया कोई नहीं अन्य,
परोपकार की राह पाए, जीवन हो धन्य।

हर विपदा टले सुख स्वर्ग-सा मिले,
दोख़ज़ हरे सत्य दीप राह नित चले,
प्यार लेकर आए हम, तम की जले होली,
खुशियों का उजियाला, फैलाती दीवाली ।

धन-धान की पूजा से संपन्न लक्ष्मीपूजन,
माँ शारदे का भी हो मन में हरपल जतन,
दीप जलेंगे और उजियारा फैले सघन,
मानव हीत में दीप जले, आप हो पावन।

अच्छे कर्मो से भरती रहे आपकी झोली,
कुल कोई भी हो बताए दानवीर बलि,
बलि पूजा के दीप से सजी बलि प्रतिपदा,
आओ मिलकर डटे रहे, हो कोई आपदा।

भाईदूज दीप का उजियारा न्यारा,
भाई-बहन का रिश्ता कृष्ण द्रौपदी-सा प्यारा,
हर बहन की रक्षा ही तीरथ हो हमारा,
चलो दीप जलाए ऐसे फैलाए भाईचारा।

चलो विश्वास की लौ हर मन में जलाए,
रोशन घर-घर रिश्तों के आँगन खिलाए,
महके दिलों के हर प्रसून खुशबू है निराली,
रिश्तों में मिठास भरने आए, फिर-फिर दीवाली।


नवकवि- मच्छिंद्र भिसे (सातारा)
उपशिक्षक
सदस्य, हिंदी अध्यापक मंडल सातारा
भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा 415  515  (महाराष्ट्र )
संपर्क सूत्र  ; 9730491952 
9545840063 
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मानवता मजहब एक

मानवता मजहब एक
 भारत भू के अधरों पर,
फूल खिले हैं अनेक,
जाति-धरम बहुत यहाँ,
मानवता मजहब एक।

खान-पान-परिवेश अलग पर,
भावों में है महक,
रंग-रूप निराले यहाँ,
मानवता मजहब एक।

प्रांत जैसी बोली बहुत पर,
दिल की सोच है नेक,
हिंदी जन-मन गीत यहाँ,
मानवता मजहब एक।

रामायण पढ़े या पढ़े कुराण,
इसमें एक ही लेख,
प्यार से प्यारी झोली भर जहाँ,
मानवता मजहब एक।

भारत भू के नादान परिंदे हम,
तिरंगे परछाई चहक,
राखण करने बलि-बलि जाऊँ,
मानवता मजहब एक।

रचना
नवकवि- मच्छिंद्र भिसे (सातारा)
उपशिक्षक
सदस्य, हिंदी अध्यापक मंडल सातारा
भिरडाचीवाडी, पो.भुईंज, तह.वाई,
जिला-सातारा 415  515  (महाराष्ट्र )
संपर्क सूत्र  ; 9730491952 
9545840063 

■ छपक-छपाक ■ (बालगीत) - मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत

■ छपक-छपाक ■ (बालगीत) रिमझिम बारिश आती है, आँगन हमारा भिगोती है। कीचड़ मुझको भाता है, कपड़ों को ही रँगाता है। छपक-छपाक कूद जाती हूँ, कीचड़-प...

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